नैनीताल। केदारनाथ यात्रा ट्रैक पर स्वच्छता बनाए रखने के संबंध में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने रुद्रप्रयाग के डीएम को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक महत्व से जुड़ा है। इस मसले पर जरूरत पड़ने पर अदालत किसी आयुक्त को निरीक्षण और तंत्र की जांच के लिए नियुक्त करने पर विचार कर सकती है।
डीएम को अवमानना का नोटिस
नैनीताल हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता गौरी मौलखी का पक्ष यह है कि 2013 में केदारनाथ यात्रा का प्रबंधन जिला मजिस्ट्रेट ने जिला पंचायत से यह कहते हुए अपने हाथ में लिया था कि जिला पंचायत ट्रैक के रखरखाव और इस्तेमाल किए गए घोड़ों, खच्चरों के कारण उत्पन्न होने वाली स्वच्छता संबंधी समस्याओं का ठीक से निर्वहन नहीं कर पा रहा है।
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यात्रा मार्ग पर 14 हजार घोड़े, खच्चरों का गोबर, मूत्र और पशुओं के शवों को ट्रैक पर ही छोड़ दिया जाता है। इससे देश और दुनियाभर से यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
डीएम से मांगा जवाब
पूरे मामले में 10 मई 2013 को हाईकोर्ट ने यात्रा मार्ग की स्वच्छता संबंधी आदेश जारी किया था। जिसका पालन नहीं किया गया। गौरी मौलेखी की ओर से इस प्रकरण में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी ने डीएम रुद्रप्रयाग से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
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न्यायालय ने कहा यह बताया जाए कि 10 मई 2013 के आदेश के पालन के लिए क्या कदम उठाए गए, मार्ग के साथ-साथ केदारनाथ शहर में भी साफ-सफाई की नियमित जांच के लिए क्या तंत्र स्थापित किए गए, क्या सफाई शारीरिक श्रम से की या कुछ यांत्रिक उपकरण लगाए गए हैं, इन पर आने वाले खर्चों को कौन वहन कर रहा है, वर्तमान यात्रा सीजन में यात्रा मार्ग के साथ केदारनाथ शहर की सफाई में कितनी राशि खर्च की गई, राशि का भुगतान किसे और कैसे किया गया।