देहरादून में हरिद्वार को छोड़कर अन्य 12 जिलों में पंचायत चुनाव अगले महीने होने की संभावना है जिसके लिए 20 जून को अधिसूचना जारी हो सकती है। मतदान की संभावित तिथि 10 जुलाई है और मतगणना 15 जुलाई से शुरू हो सकती है। पंचायतों में आरक्षण के लिए नई नियमावली जारी कर दी गई है। प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अधिकारियों को पंचायतों की जिम्मेदारी दी गई है।।
मतदान के लिए सात या 10 जुलाई की तिथि प्रस्तावित, 15 जुलाई से शुरू होगी मतगणना
डीएम, एसडीएम और एबीडीओ को नेतृत्व विहीन चल रही पंचायतों का दिया जिम्मा
इस बीच पंचायतों में आरक्षण निर्धारण के लिए नई नियमावली की अधिसूचना भी जारी
19 जून को आरक्षण की अंतिम अधिसूचना, इसी दिन निर्वाचन आयोग को भेजेंगे सूचना
देहरादून। हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अगले माह होंगे। शासन से इसी हिसाब से तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है। सूत्रों के अनुसार चुनाव की अधिसूचना 20 जून को संभावित है। मतदान के लिए 10 जुलाई की तिथि प्रस्तावित है, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग दो चरणों में मतदान कराना चाहेगा तो इसके लिए सात जुलाई का भी विकल्प रखा गया है। 15 जुलाई से मतगणना शुरू हो सकती है।
इस बीच पंचायतों में आरक्षण के दृष्टिगत नई नियमावली के संबंध में शासन ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। साथ ही पंचायती राज निदेशालय को तत्काल आरक्षण का प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है।
प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पिछले दो सप्ताह से नेतृत्व विहीन चल रही 7600 पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए अधिकारियों को अधिकृत किया गया है।
जिला पंचायतों का जिम्मा डीएम संभालेंगे, जबकि क्षेत्र पंचायतों में एसडीएम और ग्राम पंचायतों में एबीडीओ (पंचायत) को जिम्मेदारी दी गई है। ये पंचायतों के गठन की तिथि तक अथवा 31 जुलाई तक यह जिम्मेदारी संभालेंगे। उधर, पंचायतों में प्रशासक कार्यकाल एक वर्ष करने के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश फिर से राजभवन भेजा गया है।
12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इनमें प्रशासक नियुक्त कर दिए गए थे। पंचायती राज अधिनियम में प्रविधान है कि प्रशासक कार्यकाल छह माह से अधिक नहीं होगा। इस बीच 27 मई को ग्राम पंचायतों, 29 मई को क्षेत्र पंचायतों व एक जून को जिला पंचायतों में प्रशासक कार्यकाल खत्म हो गया।
तब से पंचायतें संवैधानिक संकट से जूझ रही हैं। नेतृत्व विहीन होने के कारण वहां कामकाज ठप हैं और राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ।
यद्यपि, प्रशासक कार्यकाल बढ़ाने के लिए भेजे गए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को राजभवन ने पुनर्विचार के लिए विधायी विभाग को लौटा दिया था। यही नहीं, पंचायतों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण के मद्देनजर आरक्षण नियमावली का मसला भी लटका हुआ था।
इस संबंध में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने नियमावली के प्रस्ताव को हरी झंडी दी। सोमवार को शासन ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। अब शीघ्र ही आरक्षण का निर्धारण कर सप्ताहभर के भीतर इसकी आपत्तियां निस्तारित कर आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी। पंचायतों में अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के आरक्षण का निर्धारण इनकी जनसंख्या के आधार पर होगा। इसके साथ ही आगामी 15 जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं।